हिंदी, बंगाली, तमिल और तेलुगू में नया इंटरफेस अब भारत के लाखों लोगों को देगा वैश्विक भाषाओं का ज्ञान
भारत, 2 मई 2025: दुनिया के अग्रणी मोबाइल लर्निंग प्लेटफॉर्म ड्यूओलिंगो ने भारतीयों के लिए बड़ा कदम उठाते हुए अपनी सेवाओं को स्थानीय भाषाओं में पेश किया है। अब तक के सबसे बड़े कंटेंट विस्तार के तहत ड्यूओलिंगो ने भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए 28 नए कोर्स लॉन्च किए हैं, जिनके ज़रिए अब पहली बार हिंदी, बंगाली, तमिल और तेलुगू में स्पैनिश, फ्रेंच, कोरियन, जापानी और जर्मन जैसी अंतरराष्ट्रीय भाषाएं सीखी जा सकती हैं।
ड्यूओलिंगो के इस विस्तार से लाखों भारतीयों के लिए शिक्षा और वैश्विक अवसरों के नए रास्ते खुलेंगे। यह खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा जो नई संस्कृति जानने, करियर में आगे बढ़ने या सिर्फ शौक के लिए नई भाषा सीखना चाहते हैं। सभी कोर्स ड्यूओलिंगो के लोकप्रिय गेमिफाइड मॉडल पर आधारित हैं, जिसमें छोटे-छोटे पाठ, मजेदार किरदार और ऑफलाइन एक्सेस शामिल हैं, जिससे सीखना आसान और मजेदार बनता है।
ड्यूओलिंगो इंडिया के रीजनल मार्केटिंग डायरेक्टर करणदीप सिंह कपानी ने बताया, “हमने देखा है कि हमारे इंडिक लैंग्वेज कोर्सेज शुरू होने के बाद नॉन-मेट्रो शहरों के यूजर्स—खासकर हिंदी, तमिल, तेलुगू और बंगाली भाषियों—ने बड़ी संख्या में इंग्लिश सीखना शुरू किया है। इससे यह बात स्पष्ट होती है कि नई भाषा को अपनी भाषा से सीखना सबसे असरदार तरीका है। इसी सोच के साथ हम भारत के लाखों लोगों को उनके ही परिचित भाषा माध्यम में दुनिया से जुड़ने का मौका दे रहे हैं।”
ड्यूओलिंगो का यह कदम उसकी अब तक की सबसे बड़ी कंटेंट पेशकश है, जिससे उसके कोर्सेज की संख्या दोगुने से भी ज्यादा हो गई है। इस तेज़ी से हुए विस्तार का श्रेय जनरेटिव एआई टेक्नोलॉजी को जाता है, जिसकी मदद से कंपनी ने सिर्फ एक साल में लगभग 150 कोर्स तैयार कर डाले—जबकि पहले एक कोर्स में सालों लगते थे।
ड्यूओलिंगो के सीईओ और को-फाउंडर लुइस वॉन एहन ने कहा, “पहले 100 कोर्स बनाने में हमें 12 साल लगे थे, लेकिन अब हम एक साल में 150 नए कोर्स लॉन्च कर रहे हैं। यह दिखाता है कि एआई कैसे सीखने वालों को सीधे फायदा पहुंचा रहा है और हमारी गति और गुणवत्ता दोनों में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है।”
नए कोर्स मुख्य रूप से शुरुआती स्तर (CEFR A1–A2) के लिए हैं, जिनमें स्टोरीज़ और ड्यूराडियो जैसे इंटरैक्टिव फीचर शामिल हैं। इनसे पढ़ने और सुनने की समझ बेहतर होती है। 2025 तक इन कोर्सेज में और एडवांस्ड कंटेंट भी चरणबद्ध तरीके से जोड़ा जाएगा।